कुपोषित बच्चों का सतत सर्वे कर उनके अभिभावकों को प्रेरित किया जाये पोषण पुनर्वास केन्द्रों की समीक्षा बैठक सम्पन्न

जिला अस्पताल के नोडल अधिकारी एवं संयुक्त कलेक्टर सुजानसिंह रावत ने सोमवार 17 अक्टूबर को सिंहस्थ मेला कार्यालय के सभाकक्ष में पोषण पुनर्वास केन्द्रों की समीक्षा कर सम्बन्धितों को निर्देश दिये कि वे कुपोषित बच्चों का सतत सर्वे कर उनके अभिभावकों को प्रेरित कर पोषण पुनर्वास केन्द्रों में भर्ती करवाया जाये। कुपोषित बच्चों के अभिभावक पोषण पुनर्वास केन्द्रों में भर्ती करने में असहमत होते हैं, ऐसे अभिभावकों की सूची बनाई जाये। उन्होंने स्वास्थ्य विभाग एवं महिला बाल विकास विभाग के अधिकारियों को बताया कि कुपोषण एक ज्वलन्त समस्या है। इससे निपटने के लिये हमें हर समय अलर्ट रहना चाहिये और कुपोषित बच्चों को चिन्हांकित कर पोषण पुनर्वास केन्द्रों में भर्ती करवाने की हरसंभव उनके अभिभावकों से चर्चा की जाये।

संयुक्त कलेक्टर एवं नोडल अधिकारी रावत ने बैठक में निर्देश दिये कि कुपोषित बच्चों का समय-समय पर विश्लेषण कर उनका डाटा ऑनलाइन में फीड किया जाये। आंकड़ों की बाजीगरी में न उलझें। जिन पोषण पुनर्वास केन्द्रों में उपकरण उपलब्ध कराये गये हैं, उन उपकरणों को अन्य स्थान पर न ले जाया जाये। केन्द्र पर भर्ती होने वाले बच्चों की माताओं को पोषण आहार के बारे में अनिवार्य रूप से जानकारी दी जाये। बैठक में माधव नगर अस्पताल की पोषण सलाहकार सोनल ठाकुर ने भर्ती किये जाने वाले बच्चों को पोषण आहार से सम्बन्धित जानकारी विस्तार से दी।

शिशु एवं बाल पोषण एक गंभीर चुनौती

बैठक में बताया गया कि कुपोषण स्वास्थ्य एवं पोषण के क्षेत्र में एक गंभीर चुनौती है। कुपोषण में सामाजिक एवं आर्थिक पहलुओं के साथ-साथ शिक्षा एवं स्वास्थ्य सेवाओं का अभाव, आवश्यक पोषण आहार की अनुपलब्धता, गरीबी, अप्रासंगिक सांस्कृतिक परम्पराएं एवं आचरण इत्यादि मुख्य हैं। जन्म से पांच वर्ष की उम्र के बच्चों में उम्र के मान से छोटा कद होना, गंभीर कुपोषण एवं गर्भस्थ भ्रूण का विकास अवरूद्ध होना सबसे महत्वपूर्ण समस्याओं में से है। इन सब बातों को ध्यान में रखते हुए कुपोषण, विशेषकर बाल कुपोषण नियंत्रण हेतु स्वास्थ्य विभाग द्वारा समय-समय पर रणनीतियां अपनाई जा रही है। इसके लिये स्तनपान को बढ़ावा देना, नवजात को जन्म के एक घंटे के भीतर स्तनपान एवं छह माह तक अनन्न स्तनपान को बढ़ावा देने हेतु जिला अस्पताल को शिशु हितैषी अस्पताल के रूप में चिन्हित किया गया है।

गंभीर कुपोषित बच्चों के भर्ती के मापदण्ड

बैठक में बताया गया कि पोषण पुनर्वास केन्द्र में गंभीर कुपोषित बच्चों के भर्ती के मापदण्ड इस प्रकार हैं- बच्चे की ऊपरी बांयी भुजा के मध्य भाग की गोलाई का नाप 11.5 सेमी से कम होना, बच्चे की ऊंचाई/लम्बाई के अनुपात में वजन 3 एसडी से कम होना और दोनों पैरों में सुजन होना। उल्लेखनीय है कि उज्जैन जिले में आठ पोषण पुनर्वास केन्द्र हैं। माधव नगर अस्पताल में पोषण पुनर्वास केन्द्र में 20 बिस्तर तथा तराना, महिदपुर, उन्हेल, इंगोरिया, घट्टिया एवं खाचरौद के अस्पतालों में कुपोषित बच्चों के लिये 10-10 बिस्तर हैं।

बैठक में प्रभारी मुख्य चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारी एवं प्रभारी सिविल सर्जन डॉ.एम.एल.मालवीय, महिला एवं बाल विकास विभाग के जिला कार्यक्रम अधिकारी रजनीश सिन्हा तथा जिले के समस्त ब्लॉक मेडिकल आफिसर, महिला एवं बाल विकास विभाग के समस्त परियोजना अधिकारी एवं पोषण पुनर्वास केन्द्रों के पोषण सलाहकार आदि उपस्थित थे।

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